निर्यातकों के राजस्व में 9-11 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना
नई दिल्ली / देश के टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग के लिए एक अच्छा समाचार है कि जब अनेक देशों में आर्थिक मंदी की संभावना की बात की जा रही और अनेक निर्यातक देशों से निर्यात में कमी के समाचार है, वहीं भारत से निर्यात में वृद्धि हो रही है। हाल ही में इक्रा ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि देश के गारमेंट निर्यातकों के राजस्व में चालू वित्त वर्ष के दौरान 9-11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि विश्व बाजार में विभिन्न बाधाओं के बावजूद देश से अप्रैल-सितम्बर के दौरान टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात में 5.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि गारमेंट के निर्यात में 8.51 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी हुई है।
इक्रा ने अपनी हाल की रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय गारमेंट निर्यातकों के राजस्व में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 9-11 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, क्योंकि विश्व के प्रमुख देशों में रिटेल स्टोरों में गारमेंट का स्टॉक कम होता जा रहा है तथा अनेक स्टॉक जोखिम कम करने की रणनीति के तहत भारत से गारमेंट खरीदना आरंभ कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गत वित्त वर्ष यानि 2023-24 के दौरान आयातक देशों में महंगाई की ऊँ ची दर के कारण उठाव कम होनेे, बढ़ते स्टॉक के साथ ही पड़ोसी देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण देश से गारमेंट निर्यात में भारी गिरावट आई थी। इक्रा का कहना है कि न केवल वर्ष 2024-25 अपितु वर्ष 2025-26 के दौरान भी देश से गारमेंट निर्यात का रूख पॉजिटिव ही रहने का अनुमान है, क्योंकि विश्व बाजार में भारतीय उत्पादकों की स्वीकारता में सुधार होने के साथ ही उपभोक्ता की बदलती दिलचस्पी और भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) के साथ ही सरकार द्वारा अनेक देशों के साथ हाल में की गई व्यापार समझौतों के अतिरिक्त यूके और यूरोपीय देशों से प्रस्तावित समझौतों से निर्यात बढ़ेगा। पीएलआई स्कीम के कारण गारमेंट सेक्टर में पंूजीगत खर्च बढ़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार आगामी वित्त वर्ष में भी गारमेंट निर्यातकों के राजस्व में 5-8 प्रतिशत की और वृद्धि होने की संभावना है। इक्रा की रिपोर्ट के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2023 में भारत के कुल गारमेंट निर्यात में से लगभग दो-तिहाई गारमेंट या लगभग 9.3 बिलियन डॉलर मूल्य की गारमेंट का निर्यात केवल अमेरिका और यूरोपीय समुदाय के देशों को किया गया था। इक्रा कहना है कि आर्थिक मंदी और भू-राजनैतिक तनाव के बावजूद इन देशों को देश से गारमेंट निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है तथा चालू वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों यानि अप्रैल-सितम्बर में 7,505.14 मिलियन डॉलर का निर्यात किया जा चुका है, जो गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.51 प्रतिशत अधिक है। इक्रा के अनुसार इसका प्रमुख कारण अमेरिका और यूरोपीय समुदाय में गारमेंट के स्टॉक में कमी आने के साथ ही अनेक नए खरीददार भारत से खरीदी कर रहे हैं। इसका कहना है कि आगामी स्प्रिंग और समर सीजन के लिए गारमेंट निर्यातकों के पास अच्छे ऑर्डर आए हुए हैं।
इक्रा के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट श्रीकुमार कृष्णमूर्ति का कहना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से गारमेंट निर्यात में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। बांग्लादेश में भू-राजनैतिक तनाव के कारण वहां पर कार्यरत कई कंपनियां भारत सहित अन्य देशों में अपनी यूनिट लगा सकती हैं। उनका कहना है कि कम मजदूरी की दर और बांग्लादेश को अमेरिका और यूरोपीय समुदाय द्वारा लीस्ट डवलपमेंट कंट्री का दर्जा दिए जाने से अन्य देशों के निर्यातकों के लिए चुनौती बनी रहेगी।
श्री कृष्णमूर्ति का कहना है कि पीएलआई स्कीम के अतिरिक्त पीएम मित्रा योजना से भी भारत के निवेश बढऩे के साथ ही उत्पादन क्षमता में वृद्धि और उत्पादन लागत में कमी के कारण भारतीय गारमेंट की विश्व बाजार में मौजूदगी को मजबूती मिलेगी और मैन-मेड फाइबर की वैल्यू चेन को बढ़ावा मिलेगा। इसी बीच, एईपीसी के चेयरमैन श्री सुधीर सेखरी के अनुसार भारतीय गारमेंट निर्यातकों को देश के आयात पर कम निर्भरता, फाइबर टू फैशन के सम्पूर्ण इको सिस्टम और युवा श्रमिक बल का लाभ मिल रहा तथा यहां पर विकास की असीमित संभावनाएं हैं। उनका कहना है कि विश्व बाजार में प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद देश से गारमेंट निर्यात में वृद्धि हो रही है, जबकि अनेक प्रमुख देशों से यह कम हो रहा है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-अगस्त के दौरान देश से यूके को गारमेंट निर्यात में 6.1 प्रतिशत, जर्मनी को 7.2 प्रतिशत, स्पेन को 16 प्रतिशत और नीदरलैंड्स को 27.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त एफटीए में सहयोगी देशों में आस्टे्लिया को गारमेंट निर्यात में 9.3 प्रतिशत, मॉरीशस को 13 प्रतिशत, जापान को 8.5 प्रतिशत, दक्षिणी कोरिया को 17.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इक्रा कहना है कि आर्थिक मंदी और भू-राजनैतिक तनाव के बावजूद इन देशों को देश से गारमेंट निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है तथा चालू वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों यानि अप्रैल-सितम्बर में 7,505.14 मिलियन डॉलर का निर्यात किया जा चुका है, जो गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.51 प्रतिशत अधिक है। इक्रा के अनुसार इसका प्रमुख कारण अमेरिका और यूरोपीय समुदाय में गारमेंट के स्टॉक में कमी आने के साथ ही अनेक नए खरीददार भारत से खरीदी कर रहे हैं। इसका कहना है कि आगामी स्प्रिंग और समर सीजन के लिए गारमेंट निर्यातकों के पास अच्छे ऑर्डर आए हुए हैं।
इक्रा के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट श्रीकुमार कृष्णमूर्ति का कहना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से गारमेंट निर्यात में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। बांग्लादेश में भू-राजनैतिक तनाव के कारण वहां पर कार्यरत कई कंपनियां भारत सहित अन्य देशों में अपनी यूनिट लगा सकती हैं। उनका कहना है कि कम मजदूरी की दर और बांग्लादेश को अमेरिका और यूरोपीय समुदाय द्वारा लीस्ट डवलपमेंट कंट्री का दर्जा दिए जाने से अन्य देशों के निर्यातकों के लिए चुनौती बनी रहेगी।
श्री कृष्णमूर्ति का कहना है कि पीएलआई स्कीम के अतिरिक्त पीएम मित्रा योजना से भी भारत के निवेश बढऩे के साथ ही उत्पादन क्षमता में वृद्धि और उत्पादन लागत में कमी के कारण भारतीय गारमेंट की विश्व बाजार में मौजूदगी को मजबूती मिलेगी और मैन-मेड फाइबर की वैल्यू चेन को बढ़ावा मिलेगा। इसी बीच, एईपीसी के चेयरमैन श्री सुधीर सेखरी के अनुसार भारतीय गारमेंट निर्यातकों को देश के आयात पर कम निर्भरता, फाइबर टू फैशन के सम्पूर्ण इको सिस्टम और युवा श्रमिक बल का लाभ मिल रहा तथा यहां पर विकास की असीमित संभावनाएं हैं।
उनका कहना है कि विश्व बाजार में प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद देश से गारमेंट निर्यात में वृद्धि हो रही है, जबकि अनेक प्रमुख देशों से यह कम हो रहा है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-अगस्त के दौरान देश से यूके को गारमेंट निर्यात में 6.1 प्रतिशत, जर्मनी को 7.2 प्रतिशत, स्पेन को 16 प्रतिशत और नीदरलैंड्स को 27.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त एफटीए में सहयोगी देशों में आस्टे्रलिया को गारमेंट निर्यात में 9.3 प्रतिशत, मॉरीशस को 13 प्रतिशत, जापान को 8.5 प्रतिशत, दक्षिणी कोरिया को 17.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
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