सरकार द्वारा टेक्सटाइल निर्यातकों के लिए छूट की अवधि बढ़ाने का चौतरफा स्वागत

टेक्सटाइल निर्यात में वृद्धि की आशा
नई दिल्ली/ राजेश शर्मा
सरकार द्वारा टेक्सटाइल निर्यातकों को राज्यों द्वारा वसूले गए टेक्स में छूट की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च 2024 तक किए जाने का टेक्सटाइल, गारमेंट निर्यातकों और उद्योग जगत द्वारा स्वागत किया जा रहा है और आशा व्यक्त की जा रही है कि इससे देश के गारमेंट के गिरते ग्राफ  को न केवल रोकने में मदद मिलेगी, अपितु आगामी वर्षों में हाल ही में खोए हुए बाजारों को दोबारा पाया जा सकेगा।
विगत दिनों सरकार ने गारमेंट निर्यात पर राज्य केंद्रीय करों एवं शुल्कों (आरओएससीटीएल) की छूट को 31 मार्च 2024 तक जारी रखने की अनुमति दे दी है। उल्लेखनीय है कि कपड़ा मंत्रालय ने 8 मार्च 2019 को एक अधिसूचना जारी करके निर्यातकों को एक निश्चित दर पर छूट दी थी, ताकि भारतीय गारमेंट विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धक बनें और देश से इसका निर्यात बढ़े। इस अधिसचूना की अवधि दिसम्बर 2020 को समाप्त हो गई थी और निर्यातक इसे जारी रखने की प्रतीक्षा कर रहे थे। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार अब यह  निर्यातित उत्पाद (आरओडीटीईपी)  योजना पर शुल्कों में छूट से अपवर्जन के परिधानों/वस्त्रों (अध्याय-61 और 62) और मेड-अप्स (अध्याय-63) के लिए प्रभावी है। आरओडीटीईपी स्कीम सरकार ने इस वर्ष जनवरी में आरंभ की थी। देश भर के निर्यातकों और कपड़ा उद्योग ने सरकार द्वारा आरओएससीटीएल योजना को मार्च 2024 तक बढ़ाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे विश्व बाजार में भारतीय उत्पाद सस्ते होंगे और उन्हें अधिक मात्रा में निर्यात ऑर्डर मिल सकेंगे।
इस अवधि मार्च 2024 तक करने के कारण अब वे लम्बे समय के लिए अपने निर्यात की योजना बना सकेंगे और ऑर्डर प्राप्त कर सकेंगे। कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रोमोशन कौंसिल के चेयरमेन श्री मनोज पाटोदिया का कहना है कि सैद्धांतिक रुप से निर्यातकों को करों और शुल्क वाले उत्पादों का निर्यात नहीं करना चाहिए, ताकि निर्यातकों को निर्यात के लिए समान अवसर प्राप्त हों।  काँफैडरेशन ऑफ  इंडियन टेक्सटाइल्स इंडस्ट्रीज  के चेयरमेन श्री टी राजकुमार ने आरओएससीटीएल को पुरानी दरों पर ही लागू रखने का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इस योजना को मार्च 2024 तक जारी रखने से भारतीय निर्यातकों को वित्तीय चुनौतियों को सामना करने में सहायता मिलेगी क्योंकि वे कोविड-19 महामारी के कारण वे अभी परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। श्री राजकुमार का कहना है कि इस योजना ने निर्यातकों में एक नया जोश भर दिया है, क्योंकि इस स्कीम की घोषणा न होने से वे इस दुविधा में थे कि नए ऑर्डर स्वीकार करें या न करें। उनके अनुसार आरओएससीटीएल योजना वैश्विक बाजार में भारतीय निर्यातकों को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने में सहायता मिलेगी, क्योंकि अब वैश्विक अर्थव्यवस्था सुधार के दौर में है। इससे सरकार के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
अपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल (एईपीसी) के चेयरमैन डा. ए. शक्तिवेल ने आरओएससीटीएल योजना को मार्च 2024 तक बढ़ाने का स्वागत करते हुए प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल का आभार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि इससे एमेण्डेड टेक्स का रिफंड मिलेगा और उनके भारतीय उत्पाद विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धक बनेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना से भारतीय निर्यातकों में सकारात्मक भाव आएगा तथा भारतीय टेक्सटाइल श्रृंखला के निर्यात को आगामी तीन वर्षो में सालाना 100 बिलियन के स्तर पर पहुंचाने में सहायता मिलेगी।
उनका मानना है कि यह योजना देश में लाखों रोजगार पैदा करने के लिए निर्यातकों को रणनीति तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस योजना के 31 मार्च 2024 तक जारी रहने से हाल ही में देश से गारमेंट निर्यात में जो गिरावट आई है, उसे रोकने में मदद मिलेगी। हाल ही समाप्त हुए वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश से गारमेंट का निर्यात पूर्व वर्ष के स्तर से लगभग 20.8 प्रतिशत गिरकर 12,289 मिलियन डॉलर का रह गया, जबकि वर्ष 2019-20 के दौरान देश से 1,509 मिलियन डॉलर का था। देश के कुल मर्चेन्डाईज्ड निर्यात में टेक्सटाइल सेक्टर की कुल हिस्सेदारी 2014-15 में 14 प्रतिशत थी, जो 2020-21 में घटकर 11 प्रतिशत पर आ गई। वस्तुत: यह गिरावट चिंता का विषय है, क्योंकि टेक्सटाइल और गारमेंट सैक्टर का देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान है और सर्वाधिक रोजगार अवसर देने के साथ ही निर्यात में भी  बड़ी हिस्सेदारी है। इससे सरकार के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। एक अनुमान के अनुसार भारतीय गारमेंट मंहगा होने के कारण निर्यातक अपना बाजार वियतनाम, चीन, बांग्लादेश आदि को खोते जा रहे हैं क्यों कि उक्त देशों में गारमेंट की उत्पादन लागत कम आती है। इसके अलावा वहां पर न केवल टैक्स की दरें भी कम हैं बल्कि सरकारें निर्यातकों को अधिक प्रोत्साहन भी देती है। बहरहाल सरकार ने एमएमएफ  सैक्टर के लिए जो पीएलआई स्कीम लागू की है, उससे भी देश से गारमेंट व टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। विश्व में एमएमएफ आधारित रेडीमेड गारमेंट आदि की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है, जबकि भारतीय उत्पाद अन्य देशों की तुलना में महंगे हैं और छूट की अवधि बढ़ाने से अब प्रतिस्पर्धक हो सकेंगे।


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