कम्पोजिट मिलों के पास भरपूर निर्यात ऑर्डर
मुंबई/रमाशंकर पाण्डेय
कोरोना महामारी के कारण लगी पाबंदियों में ढ़ील और लोकल टे्रनों में दो डोज ले चुके लोगों को सवारी करने की छूट मिलने से बाजारों में अब हलचलें बढऩे की पूरी संभावना है। लोगों के आने जाने की सुविधा नहीं होने और बाजारों को जल्दी बंद कर देने के कारण कामकाज नहीं हो रहा था, उसमें अब सुधार होगा। इतना ही नहीं, रौनक विहीन रहे बाजारों में अब व्यापारियों के साथ संबंधित कर्मचारियों एवं इत्तर लोगों की सहभागिता बढ़ेगी। शॉपिंग मॉल्स की दुकानों को खोलने की छूट मिलने से अब बाजारों में रौनक लौटती हुई दिखाई देगी। यद्यपि कपड़ों का उत्पादन से लेकर उसकी बिक्री तक का माहौल कमजोर है, परंतु निर्यात कामकाज में जोर है।
बाजार का माहौल अब सकारात्मक होने पर कपड़ों के उत्पादन से लेकर उसकी बिक्री तक असमंजस का भय समाप्त हो जाएगा। यद्यपि महामारी की दूसरी लहर के दौरान अधिकांश सेक्टरों में आर्थिक प्रवृत्ति धीमी पड़ी थी, लेकिन सरकार के अथक प्रयासों से टीकाकरण की मुहिम तेज करने से दूसरी लहर के असर को रोकने में मिली कामयाबी से देश की अर्थव्यस्था फिर मजबूती के साथ सुधार की ओर अग्रसर हो रही है, इसकी झलक टेक्सटाइल क्षेत्र की कंपनियों के त्रैमासिक आवक एवं उनके मुनाफे में हुए सुधार से मिल रही है। देश में कारोबारी प्रवृत्ति धीमी रहने से टेक्सटाइल उत्पादों की स्थानीय बिक्री पर विपरीत असर पड़ा है, लेकिन निर्यात बढऩे से ब्रेकइवेन रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कम्पोजिट मिलों के पास भरपूर निर्यात ऑर्डर हैं। इनमें सूती कपड़ा, कॉटन यार्न, मेडअप्स, निटवेर और होम फर्निशिंग के ऑर्डर सबसे अधिक हंै। पश्चिमी देशों का झुकाव भारत की ओर होने से निर्यात में अच्छे कारोबार की संभावना बन रही है, तथापि भय इस बात का है कि अमेरिका सहित कुछ अन्य देशों में कोरोना के मामले फिर से बढ़ रहे हैं, भारत में भी तीसरी लहर आने की आशंका बनी हुई है। इसके अतिरिक्त कंटेनरों की भारी कमी के साथ इनके भाड़े बढ़ जाने के कारण भी वैश्विक कारोबार में थोड़ी शिथिलता आई है, लेकिन यह स्थिति जल्द ही सुधर सकती है क्योंकि लोगों में जागरूकता के साथ वैश्विक स्तर पर टीकाकरण पर बहुत अधिक जोर दिया गया है।
स्थानीय स्तर पर कपड़ों में कारोबार ठंडा है, परंतु निर्यात मांग अच्छी होने से कपड़ों में मजबूती का रुख है। आगामी दिनों में कारोबार में सुधार की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है, क्योंकि त्योहारों की एक लंबी श्रंखला में रक्षाबंधन, गणोत्सव से लेकर कोलकाता का पूजा, और पूरे देश के लिए दशहरा, दीपावली जैसे अति महत्वपूर्ण त्यौहारों में कपड़ों की सभी वेराइटी में कारोबार बढऩे की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। अब वे सभी नकारात्मक एवं अवरोधक कारकों पर एक तरह से विराम लगने शुरू हो गए हंै, जिनके कारण ग्राहकी हतोत्साहित हो रही थी। सिन्थेटिक साडिय़ों में एमपी, यूपी और राजस्थान की ग्राहकी निकली है, तो लेडीज सूट में कुछ केंद्रों से पूछताछ है।
ढ़ील से रिटेलर्स की चांदी हो गई है। कारोबार बढऩे के साथ रिटेलर्स को आगामी त्यौहारों के लिए नये प्रॉडक्टों की खरीदी करने की हिचकिचाहट दूर हो गई है। आमलोगों के लिए लोकल ट्रेनों में समय बंधन के बिना आने जाने की छूट मिलने से अब कपड़ा बाजारों में दलालों, गुमास्ताओं, कर्मचारियों और ग्राहकों की संख्या पहले की तुलना में अधिक होगी, इससे कपड़ा बाजारों में रौनक जल्द ही लौटनी शुरू होगी।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि कोरोना के कारण लगी पाबंदियों ने सभी के हाथ पैर बांध कर रख दिये थे। कपड़ा बाजारों के कामकाज पर इसका बुरा असर पड़ा। अब कपड़ों की पूरी चैन खाली हो चुकी है और सामने त्यौहारों तथा ग्राहकी की लंबी कतार है।
व्यापारियों का कहना है कि अब कपड़ों के साथ गारमेण्ट की बिक्री बढ़ेगी। अभी तक निराशाजनक वातावरण में कारोबार कर रहे व्यापारियों के साथ कपड़ों एवं गारमेण्ट के उत्पादनों पर भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है, बशर्ते आगे कोरोना की कोई दूसरी लहर नहीं आए। इतना तो सच है कि अब बिना समय बंधन के बेरोक-टोक कारोबार करने का अवसर मिलने से आगे व्यापार बढ़ेगा। मांग बढ़ेगी, तो कपड़ों के साथ गारमेण्ट की इकाइयों में काम पूरी क्षमता से होने लगेगा। वह दिन दूर नहीं, जब बाजारों में ग्राहकी अच्छी चलने लगेगी और अभी तक मंदी एवं आर्थिक संकट झेल रहे बाजार का रुख सकारात्मकता में बदल जाएगा।
सूटिंग एवं शर्टिंग में कारोबार सीमित हो रहा है। किसी में मांग है, तो किसी में घटी है। शर्टिंग में साटीन की मांग ठीक है, तो पोपलीन प्रिंट की बिक्री कमजोर है। प्रिट में पुरानी डिजाइनों का स्टॉक होने से नई डिजाइन नहीं आ रही है। दूसरी ओर लिनन, लायक्रा, पीस डाइड और ट्वील डॉबी जैसी वेराइटी की बाजार में मांग बनी हुई है। यार्न डाईड शर्टिंग की मांग पहले से थोड़ी कम है। रेयान पिं्रट में जोरदार प्रतिस्पर्धा के कारण दबाव बना हुआ है। इसमें कारोबार घटा है। सूटिंग में ब्रांडेड एवं गैर ब्राण्डेड दोनों की बिक्री ठहरी हुई है। सिर्फ लायक्रा बेस्ड सूटिंग में थोड़ा काम हो रहा है। अधिक बिकने वाले डेनिम का उत्पादन बढ़ा है, परंतु मांग में कोई तेजी नहीं है।
ग्रे कपड़ों में भारी तेजी है। कपड़ों का उत्पादन पहले ही कम था। यद्यपि उंचे भाव पर ग्रे कपड़ों की मांग उतनी नहीं है, जितनी अपेक्षा थी, परंतु इस बीच साइजिंग वालों की हड़ताल ने ग्रे कपड़ों के भाव को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। भिवंडी, मालेगांव, इचलकरंजी जैसे पॉवरलूम केंद्रों पर कपड़ों के उत्पादन पर असर पड़ा, इससे सूती ग्रे कपड़ों के भाव को और मजबूती मिल गई। सूती केम्ब्रिक का भाव सामान्य भाव की तुलना में 10 से 12 रु बढ़ गया। 60/60, 92/88, 48ÓÓ का भाव बढ़कर 52.50 रू हो गया। मलमल की विभिन्न किस्मों के भाव में इसी तरह की तेजी आई है। दूसरी ओर पोलिएस्टर कॉटन अर्थात पीसी एवं पोलिएस्टर विस्कोस अर्थात पीवी में स्थिर रुख है।
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