मुंबई/ रमाशंकर पाण्डेय
फैंसी वैरायटी के गारमेण्ट में कारोबार बढ़ रहा है, परंतु गारमेण्ट उत्पादकों का ध्यान अब विंटर सीजन की तैयारियों पर है। वर्ष 2022 के शुरूआती महिनों में यार्न के भावों में हुई भारी वृद्धि और उसके कारण कपड़ों का उत्पादन कम होने का असर बाजारों में दिखाई दे रहा है। इन दिनों प्रोसेसिंग इकाईयों में चिक्कार माल भरा होने की रिपोर्ट मिल रही है। गारमेण्ट इकाईयों को कपड़ों की आपूर्ति में आगे कोई कमी न हो, इसके लिए इन दिनों कपड़ों का उत्पादन और उसकी प्रोसेसिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, यद्यपि गर्मी की सीजन की सप्लाई अब कम होती जा रही है। गारमेण्ट की रिटेल बिक्री कपड़ों के भाव अत्यधिक बढऩे और लोगों की खरीद शक्ति घटने से कमजोर हुई है। शर्टिंग की वेराइटी की दरें बढ़ी होने से गर्मी एवं वैवाहिक सीजन के दौरान बाजारों में कपड़ों की उपलब्धता कम होने की जानकारी मिल रही है। गारमेण्ट फैब्रिक्स सप्लायर्स आगामी त्यौहारों और सीजन की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए मई महिने में तीन दिवसीय फैब्रिक शो का आयोजन कर रहा है। इसमें विशेषतौर पर विंटर सीजन के लिए कॉटन, कॉटन ब्लैंडेड, फैंसी यार्न फैब्रिक रेंज शर्ट डवलप किया जा रहा है। सेल्फ बेस डिजाइन, मीडियम और बड़े चेक्स की प्रिटिंग की तैयारियों को इस तरह से अंजाम दिया जा रहा है कि विंटर सीजन के लिए कपड़ों की मांग में किसी तरह से कोई कोताही नहीं रहे। निर्यात के मद्देनजर पीसी और पीवी जैसे ब्लेंडेड कपड़ों पर जोर है।
यार्न के भाव बढऩे के कारण उत्पादन खर्च में हो रही लगातार बढ़ोतरी का असर अब कपड़ों सहित होजरी के भाव पर पड़ा है। चिल्ड्रन वियर में होजर वीयर की वेराइटी के भाव इतने अधिक बढ़े है कि इस भाव पर रिटेल में धंधा करना कठिन हो गया है। गारमेण्ट तथा होजरी की कोई भी ऐसी वेराइटी नहीं है, जिनका भाव 20 से 25 प्रतिशत नहीं बढ़ा हो। मूल्य का बढऩा जारी है।
गारमेण्ट के लोकल ऑर्डर घटे हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डिस्काउंट मिलने से रिटेल स्टोरों की बिक्री पर इसका बुरा असर देखा जा रहा है। आगे की सीजन की तैयारी में जुटे गारमेण्ट उत्पादकों का ध्यान अब कॉटन यार्न के बदले में ऐसे यार्न के कपड़ों को अधिक इस्तेमाल करने की है, ताकि लागत नियंत्रण में रहे।
दूसरी ओर उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों को गारमेण्ट क्षेत्र में निर्यात की अच्छी संभावनाएं नजर आ रही है। इन दिनों चीन का प्रभुत्व धीमा पडऩे और श्रींलका के आर्थिक संकट में फं सने के बाद गारमेण्ट की वैश्विक सप्लाई चैन चरमरा सी गई है। बांग्लादेश के पास इतना अधिक आर्डर हो चुका है कि वैश्विक सप्लायरों को टूटती सप्लाई चैन संभालने का माद्दा सिर्फ भारत के गारमेण्ट उत्पादकों में दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि निर्यातकों के पास विदेशी बाजारों से भरपूर ऑर्डर मिलने लगे हैं। साउथ से लेकर नोएडा के गारमेण्ट उत्पादकों एवं निर्यातकों के पास भरपूर ऑर्डर आ रहे हैं। प्राइस फेक्टर और कपड़ों की गुणवत्ता भी भारत के पक्ष में माहौल को अनुकूल कर रहा है।
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