मुंबई/ रमाशंकर पाण्डेय
रिटेल में फिनिश कपड़ों की जोरदार मांग रहने से कपड़ा बाजार में रौनक बढ़ी है। उम्मीदों के अनुरूप वैवाहिक सीजन शुरू होने से कपड़ों की मांग एकाएक बहुत अधिक बढ़ी है, तो कॉटन यार्न में गिरावट आने से सूती ग्रे कपड़ों के भाव कम हो रहे हैं। कपड़ा और गारमेण्ट में 1 जनवरी 2022 से जीएसटी की दर 12 प्रतिशत हो जाएगी, जो अभी कम है। यद्यपि जीएसटी की दर बढ़ाने का भारी विरोध हो रहा है, फि र भी कपड़ों से जुड़े लोगों को ऐसा लगता है कि दिसम्बर महीने तक कपड़ों की मांग इसी तरह से बनी रहेगी, क्योंकि जीएसटी की प्रस्तावित दर अमल में आती है, तो इससे कपड़ा और महंगा होगा, उससे पहले जितना स्टॉक किया जा सकता है, किया जा रहा है।
कपड़ों में कारोबार की पोजीशन अभी बहुत अच्छी है, लेकिन आगे कुछ ज्वलंत बिंदुओं पर बाजार की चाल निर्भर कर सकती है, जो प्रमुख रूप से छाए हुए हैं। कोरोना की तीसरी लहर नहीं आए, जिसके आहट की गूंज पूरे विश्व में सुनाई दे रही है। इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के कान खड़े हो गए हंै। दक्षिण अफ्रिका में मिला नया वेरिएंट ओमिक्रॉन पूर्व में भारत में दूसरी लहर में भारी उथल-पुथल मचाने वाले डेल्टा वेरिएंट से भी अधिक घातक और जल्दी फैलाव वाला बताया जा रहा है। सुकून इस बात का है भारत में इसका अभी तक कोई केस सामने नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ''चिंता वाला स्वरूप" बताया है और यूरोप के कई देश इससे प्रभावित हुए हैं।
धंधा तथा देश की अर्थव्यस्था के लिए देश में कोरोना का निंयत्रण में होना बहुत जरूरी है। कच्चे माल विशेषकर कॉटन यार्न में स्थिरता हो, ताकि कपड़ों का उत्पादन रुके नहीं और वीवर्स कॉटन यार्न के उतार-चढ़ाव के झंझट से मुक्त होकर अपना ध्यान उत्पादन पर केंद्रित कर सकें। संभव हो तो प्रस्तावित जीएसटी की दर को लागू करने से अभी टाला जाए अथवा इसे घटाकर उस स्तर पर किया जाना चाहिए ताकि जिसके कारण यह समस्या खड़ी हुई है, उसका पूर्ण निदान हो सके। पहले से ही अनेक तरह की परेशानियों से गुजर चुका कपड़ा क्षेत्र और झटका नहीं सह सकता है और वैवाहिक सीजन होने से कपड़ों में हो रहे अच्छे कारोबार में रूकावट नहीं आए।
फैब्रिक के भाव 20 से 25 प्रतिशत बढ़ चुके हैं। आगे चलकर ऊंचे भाव पर भी तैयार माल मिलों अथवा कपड़ा बाजारों में आसानी से उपलब्ध होगा कि नहीं, इसमें संदेह है। टेक्सटाइल में कच्चे माल के भाव बढ़े, विशेषकर कॉटन यार्न के महंगे होने का असर कॉटन बेस्ड कपड़ों के मूल्य पर अधिक पड़ा है, जबकि सिंथेटिक कपड़ों पर इसका प्रभाव सीमित रहा है, क्योंकि वोल्यूम बढ़ा है। सीजन की बिक्री को देखते हुए फिनिश कपड़ों की चौतरफ ा मांग बढ़ी है। कपड़ों का भाव आगे बढ़ सकता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है, बशर्ते कपड़ों की मांग इसी तरह से बनी रहे। शर्टिंग में अभी तक 25से 30 रू और सूटिंग में 30 से 40 रू तक भाव बढ़ चुके हैं। शर्टिंग में मिक्स कपड़ों का टे्रंड है।
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का दावा है कि टेक्सटाइल क्षेत्र पहले से ही आर्थिक संकट से घिरा है। जीएसटी की मौजूदा दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किया गया, तो इसका विपरीत असर अधिकांश टेक्सटाइल सेक्टर पर होगा। परिधान का खुदरा कारोबार बर्बाद हो जाएगा, जो अभी बड़ी तेजी से पटरी पर लौटा है। इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या हल करने के लिए इस तरह की बढ़ोतरी का सीधा असर टेक्सटाइल उद्योग से जुड़ी छोटी इकाइयों पर होगा और टेक्सटाइल की वैल्यू चैन पूरी तरह से चरमरा जाएगी। यह वृद्धि किसी भी तरह से कपड़ा उद्योग के हित में नहीं है। अधिकतर गारमेण्ट कारखानों के खुलने और उत्पादनरत होने से कपड़ों की मांग भी बढ़ी है।
फि निश कपड़ों की मांग बढ़ी है। शादियों की सीजन शुरू होने से सभी प्रकार के कपड़ों की मांग हाल के दिनों में सुधरी है। वैवाहिक सीजन में अब तक सब कुछ अनुकूल है, कोरोना के मामले घटने से कोई पाबंदियां नहीं है। अच्छे कारोबार की इस सीजन में हमेशा संभावना रहती है, परंतु इस बार सीजन की तैयारी करने में देरी होने के कारण फि निश माल के भाव में वृद्धि के बावजूद कपड़ों की खरीदारी बढ़ी है। जानकारों का कहना है कि मिलों के माल में आर्डर की कोई कमी नहीं है। थोक व्यापारियों एवं स्टॉकिस्टों की हर संभव कोशिश पहले से ही बुकिंग करा कर अपनी पोजीशन सुनिश्चित कर लेने की है, क्योंकि मिलों से तैयार माल की डिलीवरी में देरी होने की भी चर्चा है।
कॉटन यार्न के भाव टूटने के बाद सूती कैम्ब्रिक, मलमल, पीसी, पीवी, पोलिएस्टर, रेयॉन इत्यादि सभी किस्म के ग्रे कपड़ों के भाव में गिरावट आई है। यद्यपि लिनन यार्न में कोई गिरावट नहीं आई है, लेकिन आज के दौर में लिनन मिक्स कपड़ों का उत्पादन अधिक होने से इस तरह के ग्रे कपड़ों के भाव पर भी कुछ असर दिखाई दिया है। सूती कैम्ब्रिक टेबल चैकिंग डाइंग ग्रे 54-55 रु से घटकर 45 रु होने के बाद अब 40 से 50 रु की रेंज में चल रहा है। मलमल की कई वेराइटी है, जिनका भाव भी भिन्न-भिन्न है। इसी तरह पीसी और पीवी ग्रे कपड़ों की स्थिति है। सबसे अधिक सेटबेक एयरजेट लूम की सूती पापलीन 63'' पना में देखा गया, जिसका भाव घटकर 90 रू हो गया है। मिलों की 30 रेयॉन 48'' पना ग्रे का भाव 45 रु से घटकर 38 रू हो गया है, वहीं 63'' ग्रे का भाव 60 रु से टूटकर 52 रु हो गया है। कॉटन लिनन 65'' पना का भाव 63 रु से बढ़ते हुए 140 रु तक पहुंच गया था, जो घटकर 130 रू हो गया है। इसमें लिनन सिर्फ 30 प्रतिशत होता है। डेनिम में कॉटन पोलिएस्टर लायक्रा 72'' पना की मांग अच्छी है। डेनिम का भाव तीन से चार प्रतिशत घटने और अधिक से अधिक गारमेण्ट कराखानों के खुल जाने के बाद इसकी मांग बढ़ी है। 100 प्रतिशत पोलिएस्टर और 100 प्रतिशत कॉटन कपड़ों में निर्यातकों की मांग अच्छी है। यार्न डाईड शर्टिंग चेक्स 40/40, 120/80, 58'' फि निश का भाव 141रू, जबकि 61'' पना मिल का भाव 115 रू है।
C-127, R.K Colony, Bhilwara (Rajasthan), 311001
+91 8003596092
textileworldt@gmail.com
© TEXTILE WORLD. All Rights Reserved.
Design by Tricky Lab
Distributed by Tricky Lab