मुंबई/ रमाशंकर पाण्डेय
गारमेण्ट में कारोबार धीमा पड़ गया है। सीजनल मांग भी नहीं है, साथ ही जीएसटी को लेकर बना गतिरोध दूर होने के बाद कारोबारी गतिविधियां तथा गारमेण्ट उत्पादन भी संभवत: आगामी कुछ दिनों में सुचारू हो जाए। अभी तक व्यापारियों में उलझन थी। इस कारण गारमेण्ट के पुराने स्टॉक को क्लीयर करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही थी। बड़े से लेकर छोटे तक सभी रिटेल दुकानों में आकर्षक छूट ऑफर कर पुराने स्टॉक क्लीयर किये जा रहे थे और नये माल भरने से परहेज किया गया था। ज्यादातर लोगों का ध्यान इस बात पर था कि आगे जीएसटी की नई दर का अमलीकरण होता, तो फि र गारमेण्ट एवं कपड़ों के धंधों पर क्या असर होगा। जीएसटी का 1 जनवरी 2022 से भले ही अमलीकरण टल गया है, लेकिन यह कोई स्थाई हल नहीं है, इसलिए व्यापारियों का कहना है कि स्थितियों का पूरी तरह आकलन करने के बाद ही नये माल मंगाए जाएंगे। गारमेण्टर की कपड़ों की मांग कमजोर है। गारमेण्ट इकाईयों में उत्पादन में कोई कटौती तो नहीं की गई है,कारण कि आगे ग्राहकी चलने की अच्छी संभावना है। 14 जनवरी के बाद जैसे ही शादी-विवाह की शुरूआत होगी, कपड़ों तथा गारमेण्ट की खरीदी फि र से बढऩे लगेगी। आमतौर पर कपड़ों की अच्छी ग्राहकी के लिए कुछ ऐसे अनुकूल समय आते हंै, जहां हरएक प्रकार के कपड़ों की जबरदस्त मांग बाजारों में रहती है। वैवाहिक सीजन उनमें से एक प्रमुख मौका है।
निर्यात मोर्चे पर भारत की कई अग्रणी एवं बड़ी कंपनियों का टेक्सटाइल और अपेरल का निर्यात इन दिनों काफी बढ़ा हुआ है, जबकि यार्न, डाइंग और रसायनों जैसे कच्चे माल में 40 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि होने के बाद कपड़ों की कीमतें लगातार बढ़ी है और इंटरनेशनल मार्केट में बांग्लादेश और कम्बोडिया को टेरिफ छूट का लाभ मिल रहा है, लेकिन जब गुणवत्ता और भरासेमंद उत्पाद की आती है, तो भारत के उत्पाद श्रेष्ठ माने जाते हंै। इसलिए अधिकांश बार ऐसी आवाज उठी है कि यूरोप तथा अमेरिका जैसे मुख्य निर्यात बाजारों के लिए फ्री-टे्रड करार होने चाहिए। दूसरे कोविड के कारण शिपमेंट की समस्या नहीं आई होती, तो निर्यात आंकड़े और अच्छो हो सकते थे।
इस वर्ष अप्रैल से नवम्बर के दौरान निर्यात कारोबार अच्छा होने की जानकारी मिल रही है, परंतु इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि पिछले एक दशक से यूरोपियन यूनियन के देशों में बांग्लादेश, वियतनाम और कम्बोडिया जैसे देश भारत को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं। एपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के चेयरमेन श्री ए शक्तिवेल का मानना है कि वर्ष 2021 की पहली छ:माही में देश में कोविड-19 की दूसरी लहर नहीं आई होती तथा शिपमेंट के लिए जहाजों की सुगमता रही होती, तो निर्यात में भारी उछाल आया होता। फिर भी उक्त अवधि के दौरान जिस तरह का प्रदर्शन भारतीय कंपनियों का निर्यात के क्षेत्र में रहा है, उसे देखते हुए आगे निर्यात बढऩे की अच्छी संभावना है।
C-127, R.K Colony, Bhilwara (Rajasthan), 311001
+91 8003596092
textileworldt@gmail.com
© TEXTILE WORLD. All Rights Reserved.
Design by Tricky Lab
Distributed by Tricky Lab