बांग्लादेश संकट के बाद देश से गारमेंट निर्यात बढऩे की संभावना
नई दिल्ली/ जानकारों का कहना है कि एक फरवरी को प्रस्तुत किए जाने वाले बजट २०२५-२६ में वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण टेक्सटाइल और गारमेंट सेक्टर में उत्पादन व निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक सौगात दे सकती है, क्योंंकि इस सेक्टर का देश की अर्थव्यवस्था में एक अलग ही महत्त्व है। जानकारों के अनुसार बांग्लादेश में संकट के बाद वहाँ से निर्यात प्रभावित होने वाले क्षेत्रों की मांग को पूरा करने के लिए भारतीय गारमेंट निर्यातकों को सरकार प्रोत्साहन दे सकती है। उल्लेखनीय है कि देश के टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात की अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है और कुल निर्यात वर्ष २०२३-२४ के दौरान इसका योगदान ८.२१ प्रतिशत रहा था। प्राप्त सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष २०२३ के दौरान भारत न केवल विश्व में टेक्सटाइल और गारमेंट के निर्यात मेंं छठा सबसे बड़ा निर्यातक देश बना अपितु कुल वैश्विक कारोबार में इसकी हिस्सेदारी ३.९ प्रतिशत रही। टेक्सटाइल सेक्टर देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाला सेक्टर है और इससे लगभग लाखों लोग जीविकोपार्जन कर रहे हैं, यहीं कारण है कि वित्त मंत्री टेक्सटाइल और गारमेंट सेक्टर के लिए पैकेज की घोषणा भी कर सकती हैं। अनुमान है कि वित्त मंत्री बजट में इस सेक्टर आवंटन में १०-१५ प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकती है। चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटन ४,४१७ करोड़ रूपए है। इसके साथ ही सरकार पीएलआई स्कीम में भी बजट राशि में वृद्धि कर सकती है। चालू वर्ष के लिए पीएलआई स्कीम में ४५० मिलियन रूपए का आवंटन किया हुआ है। उल्लेखनीय है कि पीएलआई स्कीम उद्योगों में लोकप्रिय हो रही है और नया निवेश आ रहा तथा आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन मिल रहा है। जानकारों का कहना है कि उत्पादन लागत कम करने और घरेलू आइटमों को विश्व में प्रतिस्पर्धक बनाने के लिए सरकार कच्चे माल फाइबर और मशीनरी इत्यादि पर आयात ड्यूटी कम कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि इस समय पॉलिएस्टर, विस्कोज फाइबर, मशीनरी आदि पर आयात ड्यूटी ११ प्रतिशत से २७ प्रतिशत है, जबकि बांग्लादेश में इनका आयात शुल्क मुक्त है, इससे भारत की तुलना में वहाँ के निर्यातक कम भाव पर निर्यात कर सकते हैं। जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश में संकट के बाद वहाँ के अनेक आयातकों ने भारत से पूछ-परख आरंभ कर दी है और इससे निर्यात बढऩे की संभावना बन रही है। सरकार इस अवसर का लाभ उठाने के लिए देश के टेक्सटाइल और गारमेंट सेक्टर को बजट में प्रोत्साहन दे सकती है। टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग ने सरकार से कॉटन का आयात ड्यूटी मुक्त करने के साथ ही तैयार पर आयात ड्यूटी में वृद्धि की मांग की है, ताकि घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा हो और उत्पादन में भी वृद्धि हो। सरकार ने कच्चे माल के आयात पर ड्यूटी में कमी का अनुरोध किया है, ताकि उत्पादन लागत कम आए और वे पड़ौसी देशों के निर्यातकों के सामने प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।
बढ़ता निर्यात- इसी बीच चालू वित्त वर्ष में आरंभ के महीनों को छोड़कर विषम परिस्थितियों के बावजूद देश से टेक्सटाइल और गारमेंट का निर्यात बढ़ रहा है। रशिया और यूक्रेन के बीच युद्ध, इजराइल-हमास संकट के साथ ही अन्य देशों में आपसी तनाव से आर्थिक मंदी की आशंका से टेक्सटाइल और गारमेंट का निर्यात प्रभावित हो रहा है। लाल सागर संकट के कारण लॉजिस्टिक की समस्या बढऩे के साथ ही निर्यात लागत भी बढ़ रही है। उत्साहजनक - इसी बीच देश से टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात के आंकड़े उत्साहजनक बने हुए हैं और निर्यात लगातार बढ़ रहा है। दिसम्बर-२०२४ में देश से टेक्सटाइल्स का निर्यात १,७९८.४९ मिलियन डॉलर रहा, जो गत वर्ष की इसी अवधि के निर्यात १,५९४.९९ मिलियन डॉलर की तुलना में १२.७६ प्रतिशत अधिक है। गारमेंट का निर्यात भी इसी अवधि में १२.८९ प्रतिशत उछलकर १,४६२.२६ मिलियन डॉलर हो गया। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दिसम्बर में टेक्सटाइल्स और गारमेंट का कुल निर्यात १२.८२ प्रतिशत बढ़कर ३,२६०.०७५ मिलियन डॉलर हो गया। गत वर्ष दिसम्बर में निर्यात २,८९०.२६ मिलियन डॉलर का था। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसम्बर के ९ महीनों के दौरान टेक्सटाइल्स का निर्यात गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में ४.८७ प्रतिशत बढ़कर १५,२७७.५५ मिलियन डॉलर हो गया। गत वर्ष इसी अवधि में निर्यात १४,५६७.५० मिलियन डॉलर था। इसी प्रकार गारमेंट का निर्यात ११.५८ प्रतिशत बढ़कर ११,३१६.०९ मिलियन डॉलर हो गया। गत वर्ष इसी अवधि में १०,१४१.६७ मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया था। कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष के पहले ९ महीनों के दौरान टेक्सटाइल्स और गारमेंट का निर्यात गत वर्ष की इसी अवधि के निर्यात २४,७०९.१७ मिलियन डॉलर से ७.६३ प्रतिशत बढ़कर २६,५९३.६४ मिलियन डॉलर हो गया। कुल निर्यात में टेक्सटाइल्स और गारमेंट सेक्टर का योगदान चालू वित्त वर्ष में बढ़कर ८.२७ प्रतिशत हो गया, जबकि गत वर्ष योगदान ७.८० प्रतिशत ही था।
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