मेन्स फैशन में निट्स एवं लाइक्रा की मांग बढ़ी

मुंबई/ रमाशंकर पाण्डेय
गारमेंट में कारोबार धीमा है। उत्पादकों की तैयारी आगामी सीजन पर केंद्रित है। कॉटन ट्राउजर और जींस का चलन धीमा पड़ गया है। केजुअल ट्राउजर के साथ प्रीमियम में बड़े ब्राण्ड का दबदबा हो गया है। ट्राउजर फैशन में फिलहाल नीट्स और लायक्रा को अधिक पसंद किया जा रहा है। शर्टिग में भी ब्राण्डेड मिलों की मांग निकलनी शुरू हो रही है। मुंबई में 19 से 22 जुलाई तक हो रहे नेशनल गारमेंट फेयर पर कपड़ा उत्पादकों से लेकर गारमेंटरों की निगाहें लगी हुई है। कुछ समय पहले तक गारमेंट का उत्पादन तीन से चार बड़े शहरों-मुंबई और दिल्ली इत्यादि तक सीमित था लेकिन अब गारमेंट की बिक्री जैसे-जैसे बढ़ती गई, उसी अनुसार इनके उत्पादन का विस्तार हो चुका है।  तैयार कपड़ों के निर्यातकों को मिलता ऑर्डर घटने लगा है। वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फ ीति और कमजोर मांग के कारण रिटेल चैन स्टोरों में मालभराव की स्थिति होने से निर्यात ऑर्डर घटा है। पिछले वर्ष अच्छी मांग के कारण निर्यात ऑर्डर अच्छा रहा है, लेकिन अभी तक आयातक देशों में माल का स्टॉक कम नहीं होने से कपड़ों के निर्यात आर्डर में 30 से 40 प्रतिशत घटने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसका मूल कारण यह है कि अमेरिका एवं यूरोप के आर्डर समय पर नहीं मिले हैं। आमतौर पर वैश्विक आयातक सितम्बर महिने का ऑर्डर पहले ही दे दिया करते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है और अभी तक तैयार कपड़ों के निर्यातकों के हाथ में आधे ऑर्डर होने की जानकारी मिल रही है।  

अमेरिका एवं यूरोप के बाजारों के लिए वेस्टर्न लेडीज गार्मेंट में उपयोगी जैसे कि पोलिएस्टर, नायलोन शिफोन, जॉर्जेट, साटिन इत्यादि फैब्रिक की भरपूर निर्यात करने की संभावना रही है। इस तरह के कपड़ों की वैश्विक बाजारों में भारी मांग रहा करती है। अगर निर्यात में कारोबार ठीक से होता है, तो ऐसे सभी उत्पादन केंद्रो को इसका भरपूर लाभ होगा, जहां बड़े पैमाने पर अच्छी गुणवत्ता के कपड़ों का उत्पादन करने की क्षमता है। दूसरी और देशी बाजारों में गारमेंट की अच्छी संभावना को देखते हुए आज के दौर में आर्ट सिल्क मिलों की सूटिंग और शर्टिंग का गारमेंट में बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। इनमें कुछ ब्रांडेड मिल ऐसी हैं, जिनके कपड़ों की मांग सदैव गारमेंटरों के बीच रहती है। जानकारों का कहना है कि कमजोर मांग के कारण निर्यात ऑर्डर बुक पर दबाव है। यूरोप और अमेरिका के बड़े स्टोरों की श्रृंखला जो ऑर्डर अप्रैल में देते थे, उसे अक्टूबर तक खींच लिया है। इसका बुरा असर मीडियम दर्जे के गारमेंट उत्पादकों पर होगा। हो सकता है कि आगे कपड़ों के भाव में गिरावट आए, इसलिए भी ऑर्डर कम हैं, जबकि कपड़ों के भाव में गिरावट की संभावना अभी नहीं है। हाजिर में स्टॉक भरपूर है,जबकि मांग अपेक्षाकृत कम है। आगामी दिनों में इन स्थितियों में सुधार हो सकता है। पूर्व यूरोप, लैटिक अमेरिकी तथा पश्चिम एशियाई देशों की मांग बढऩे की संभावना है। इसके अलावा यूएई और आस्टे्रलिया के साथ व्यापार करार होने के कारण भी संभावना है कि निर्यात बढ़ेगा।


Textile World

Advertisement

Tranding News

IT’S TIME TO ‘UNCHAIN’ THE GLOBAL TEXTILE VALUE CHAIN
Date: 2024-02-13 11:25:46 | Category: Textile
AI in Textiles: A stitch for the future
Date: 2024-02-13 11:09:16 | Category: Textile
BHARAT TEX 2024 – India’s Largest Textiles Mega Event
Date: 2024-02-13 11:00:17 | Category: Textile
फोस्टा का शपथ ग्रहण समारोह
Date: 2023-07-24 11:28:36 | Category: Textile
Birla SaFR: Launch of Sustainable Flame-retardant Fibres
Date: 2023-06-13 10:43:11 | Category: Textile
गारमेण्ट में कामकाज सुधरा
Date: 2022-07-11 10:54:30 | Category: Textile
कॉटन आयात शुल्क मुक्त 
Date: 2022-04-22 10:45:18 | Category: Textile
कपड़े में तेजी बरकरार
Date: 2022-04-07 12:36:42 | Category: Textile
बाजार में हलचल आरंभ 
Date: 2022-02-23 17:14:55 | Category: Textile
कपड़ा बाजार खुला 
Date: 2021-06-25 11:16:44 | Category: Textile

© TEXTILE WORLD. All Rights Reserved. Design by Tricky Lab
Distributed by Tricky Lab