बालोतरा/ लालचन्द पुनित
अचानक आंधी के प्रबल वेग ने आंशिक चल रही गतिविधियों को अवरूद्ध किया, इसके साथ ही बरसात ने राहत का अहसास कराया। यह क्षेत्र तपन और लू मिश्रित गर्मी के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। वस्त्र रंगाई छपाई उद्योग के विकास में यहां की भौगोलिक परिस्थितियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ऐसा बताया जाता है कि यहां के लाजवाब व बेजोड़ रंग शैली के उत्पादनों में स्थानीय जलवायु का भी अंशदान उच्च स्तर का रहा है। यहां के उत्पादन अन्य स्थानों पर निर्माण प्रक्रिया में है, परंतु यहां के माल रंग, फिनिश, फील व आकर्षण में खूबी के साथ देश व विदेशों में विशिष्टता के साथ अपनी छाप अंकित किए हुए है।
ज्यों-ज्यों अब दिसावर मंडियों में बाजार खुलने के समाचार मिल रहे हैं, उस हिसाब से पोपलीन की ग्राहकी में चार चांद लग रहे हैं। कतिपय उद्यमियों का कहना है कि ऐसे विकट समय में भी माल की कटत अच्छी रही। समग्र अध्ययन से कुल मिलाकर पोपलीन की रफ्तार तो किसी न किसी रूप से जारी रही परंतु नाइटी, रेयॉन, क्रेप, सूट, कुर्ती आदि में समाचार धीमी गति के ही रहे। पेटिकोट, पोकेटिंग का उठाव सामान्य रहा। यार्न की तेजी से ग्रे क्लोथ में तेजी का आलम रहा, किंतु बरसाती माहौल बनने से तेजी पर ब्रेक लगने के साथ भावों में कमी का दृश्य बन गया, इससे लेवाली शून्य पर आ गई। फिलहाल सिंथेटिक माल की कुछ विशेष मंडियों में मांग है। कोरोना से त्रस्त मंडियों से रकम की आवक कमजोर होने का खामियाजा उद्यमियों को भुगतना पड़ रहा है। कई उद्यमियों ने तो एक धारा बना दिया है कि वे केश में ही माल बेचेंगे। वे इस पर पाबंद हैं। ये धारा उनके लिए उपयुक्त है, जिनके पास ब्रांड इमेज हैं। वैसे अन्य सभी उत्पादक इस धारा को अपनाकर काम बढ़ाने में सफल होने में संदेह के संकेत हैं। उत्पादकों द्वारा कार्य क्षेत्र की क्षमता विस्तार के प्रयासों से लगता है कि आगे जब सीजन चलेगा, तो नया इतिहास बनेगा। बालोतरा वस्त्र रंगाई छपाई उद्योग में जल प्रदूषण निवारक एवं नियंत्रक संयंत्र को विशेष दर्जा प्राप्त है। उत्पादन में संयंत्र के बिना उत्पादन पंगु बना रहता है। इसके लिए गठित ट्रस्ट संचालन करता है। जानकारी के अनुसार ट्रस्ट का कार्यकाल पूरा हो जाने से नए ट्रस्टियों के चयन की प्रक्रिया शीघ्र अमल में लाए जाने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार उपखंड अधिकारी के सानिध्य में चुनाव जुलाई माह में संपन्न होने की संभावना है। इस चुनाव में मताधिकार का प्रयोग मात्र सीईटीपी से जुड़े सदस्य ही कर सकेंगे। ट्रस्टियों के इस चुनाव में की प्रमुख एवं प्रबुद्ध उद्यमियों के भाग्य आजमाने का सुना जा रहा है, जिनमें वर्तमान अध्यक्ष सर्व श्री सुभाष मेहता, पूर्व अध्यक्ष रूपचंद सालेचा, मनोज चोपड़ा, किशोर सिंघवी, संपत भंडारी, जसवंत गोगड़, कन्हैयालाल माहेश्वरी, कांतिलाल जीरावला, गौतम चोपड़ा, रामकिशन गर्ग, नरेश डोडावाला, रमेश गोलेच्छा, गौतम कांकरिया, धनराज चौपड़ा, सिंधु, संजय, राजकुमार पन्ना आदि हैं।
125 करोड़ की लागत से निर्मित 18 एक्स एलईडी का जेड एल डी संयंत्र बनने से उद्यमियों को कई परेशानियों से निजात मिल सकेगी। जल के पुन: उपयोग से जल दोहन स्वत: ही कम हो जाएगा। इससे औद्योगिक क्षेत्र में स्वच्छता का आलम निखर सकेगा और उत्पादन में वृद्धि पूर्ण क्षमता से हो सकेगी। कई उद्यमी जो एन ओ सी से महरूम अब तक रहे, उन्हें प्रदूषण मंडल से सहमति प्राप्त शीघ्र होने की संभावनाएं बनी है। इससे ऐसे उद्यमियों ने जो लाखों रुपए लगाकर जीगर व उससे संबध्द संयंत्र लगाए, उनका इन्वेस्टमेंट अब निरर्थक न रहकर फलीभूत रूप में दृष्टिगोचर होने लगेगा।
फिलहाल जो परिदृश्य उपस्थित हो रहा है, उससे मौसम की प्रतिकूलता और लॉकडाउन के संदर्भित अवरोधों के बावजूद भी उद्योग के विकास को बल मिल रहा है। उद्यमियों को यह विश्वास है कि समय के साथ यह क्षेत्रीय उद्योग, नई ऊंचाइयों को छूने में समर्थ होगा।
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