कॉटन यार्न में गिरावट शुरू हुई तो फि लामेंट यार्न हो गया टाइट
By: Textile World |
Date: 2022-06-23 |
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मुंबई/ रमाशंकर पाण्डेय... कॉटन यार्न का आयात किए जाने और कपड़ों की उत्पादन लागत कम करने के लिए पोलिएस्टर एवं विस्कोस मिक्स को बढ़ावा देने के बाद कॉटन यार्न की कीमतें घटनी शुरू हो गई है। भिवंडी में कॉटन यार्न के भाव में प्रति किलो 35 से 40 रु की गिरावट आई है और आगामी दिनों में इसके भाव में और गिरावट आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। कॉटन यार्न के टूटने का असर ग्रे कपड़ों के भाव और उसकी लेवाली पर पड़ रहा है, इसलिए वीवर्स की यार्न की मांग में कोई उछाल नहीं है, बल्कि जैसे कपड़ों की खरीदी में सर्तक रुख बना है, उसी तरह कॉटन यार्न की खरीदी सीमित प्रमाण में रही है। वीवर्स बाजार के रुख को परखने के बाद ही यार्न मेेेे सौदे कर रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि बाजारों में कॉटन यार्न की आपूर्ति आगामी दिनों में बढ़ेगी तो संभव है कि कीमतों पर दबाव बने। भले ही देसी यार्न उत्पादकों ने यार्न का उत्पादन कम कर दिया है, परंतु इस बीच वियतनाम, इंडोनेशिया और ताईवान से 200 कंटेनर कॉटन यार्न का आयात किया गया और यह स्टॉक भारत पहुंच चुका है। लेकिन जैसे ही कॉटन यार्न के भारतीय बंदरगाहों पर पहुंचने की खबरें पहुंचनी शुरू हुई कॉटन यार्न के भाव पर दबाव बनना शुरू हो गया, पहले करीब 20 रू की गिरावट आई, लेकिन उसके कुछ दिनों के बाद फि र इतना ही भाव घटा। बाजारों में कॉटन यार्न की आपूर्ति बिल्कुल सहज बनी हुई है, वीवर्स 'रूको एव प्रतीक्षा करो की नीतिÓ पर चल रहे हैं।
आश्चर्य इस बात का है कि चीन के बाद भारत में स्पिनिंग की सबसे विशाल क्षमता है, फि रभी देश में कॉटन यार्न का आयात करना पड़ा है, जिसके मूल में रूई की बेलगाम हुई कीमतें हैं। अब रुई के भाव घटने शुरू हो गए हैं। इस बात पर गौर करें कि पहले इन मिलों के पास यार्न का स्टॉक करीब 15 दिनों का रहता था, जो अब बढ़कर एक महीने का हो गया है, दूसरे साउथ की लगभग 40 प्रतिशत मिलों में यार्न का उत्पादन या तो बंद कर दिया गया है अथवा उत्पादन क्षमता से बहुत कम कर दिया गया है। इतना ही नहीं, मिलों को लग रहा है कि रुई की कीमतें अभी भी बहुत उंची हैं और इस भाव पर रुई खरीदकर यार्न बनाकर बेचने में उनकी मार्जिन घटती जा रही है। कॉटन यार्न घटना शुरू हुआ तो सिंथेटिक फि लामेंट यार्न, नायलोन यार्न इत्यादि के भाव टाइट हो गए हैक। क्रूड तेल का भाव बढ़कर जब 118 से 120 डॉलर की ऊंचाई पर पहुंचा, तो पेट्रोप्रॉडक्ट पर इसका असर दिखाई देने लगा, विशेषकर सिंथेटिक फि लामेंट यार्न की लागत बढ़ गई। इस यार्न की मांग में भी इजाफा हो रहा था, इसलिए स्पिनरों ने 5 जून से फि लामेंट यार्न के भाव 5 से 9 रु तक बढ़ा दिया है। लायक्रा की अच्छी मांग है। रुई और कॉटन यार्न के भारी उछाल के बाद सुस्त एवं कमजोर पोलिएस्टर, पीसी, पीवी और विस्कोस सहित अनेक ऐसे यार्न हैं, जिनकी मांग बढ़ी है। फैशन ब्रांड के उत्पादन में लगी कंपनियों ने इस तरह के यार्न का उपयोग बढ़ा दिया है।