जल्दी-जल्दी होते बदलाव के कारण गारमेण्ट में पुराने स्टॉक का बोझ बढ़ा

मुंबई/ रमाशंकर पाण्डेय
बिक्री की सीजन पूरी होने के बाद गारमेण्ट में आगे की तैयारियों के लिए अब सेम्पलिंग की जा रही है। गारमेण्ट उत्पादकों का ध्यान आगामी त्यौहारी सीजन पर है। बारिश का मौसम शुरू होने वाला है, मुंबई में 10 जून के आसपास बारिश शुरू हो जाती है। मॉनसून में वैसे भी कपड़ा सहित गारमेण्ट में थोक एवं रिटेल दोनों कारोबार ठंडा रहता है। इन दिनों में रिटेलर्स अपने ओल्ड स्टॉक को कम भाव बेचने की हर संभव कोशिश करते हैं, इसके लिए ग्राहकों को भारी डिस्काउंट ऑफ र करते हैं। फैशन में जल्दी-जल्दी होते बदलाव के कारण रेडीमेड गारमेण्ट  में पुराने स्टॉक का बोझ बढ़ता ही रहता है, इसलिए इस बोझ को हल्का करने की जरूरत होती है, ताकि नये स्टॉक भरे जाएँ। गारमेण्ट में सेम्पलिंग का कार्य करीब-करीब सभी उत्पादन केंद्रों पर किया जा रहा है। कहीं कुछ दिन पहले इसकी शुरूआत हो जाती है, तो कही कुछ समय बाद,लेकिन आगमी सीजन की तैयारियां सभी जगहों पर की जा रही है। इसके पीछे का प्रमुख कारण यह है कि 15 जुलाई के बाद से बाजारों में त्यौहारी मांग शुरू हो जाती है। नये उत्पादों के लिए पूछताछ बढ़ जाती है। जेंट्स, लेडीज और किड्स सभी खंडों में फैशनेबल और ग्राहकों के अनुकूल उत्पाद देने की इकाईयों की पुरजोर तैयारी है। पुरूषों में पेस्टल रंग पर वैल्यूऐडेड परिधानों की ओर झुकाव देखा जा रहा है। ब्राइट और डस्टी कलर अधिक चलने की संभावना है। गारमेंट कपड़ों में हाल इसी तरह का ट्रेंड देखने को मिला है। 
आदित्य बिड़ला गु्रप के चेयरमैन श्री कुमार मंगलम् बिड़ला ने कहा कि भारतीय एपेरल उद्योग बड़े तथा विकसित हो रहे मध्म वर्ग के मजबूत फं डामेंटल, बढ़ती आबांदी, बढ़ी आवक तथा ब्रांडेड चीजों की बढ़ रही मांग के कारण लंबी अवधि की वृद्धि के लिए सुसज्ज है। कंपनी अपने मजबूत ब्रांड के विविधयुक्त पोर्टफोलियो, व्यापक वितरण तथा स्थापित बिजनेस मॉडल के माध्यम से इस बाजार में अग्रणी बनी हुई है। सीएमएआई के भूतपूर्व अध्यक्ष श्री राहुल मेहता का कहना है कि 100 प्रतिशत कॉटन अब ब्लैंडेड फैब्रिक्स में आता है, इसलिए मार्केट सभी के लिए खुला हो गया हैं। ई-कामर्स के लिए भी ग्लोबल मार्केट खुला है। पीएलआई स्कीम भी टेक्सटाइल मैन्यूफैक्चरर्स के लिए उपयोगी है। देश से गारमेण्ट के विस्तार की असीम एवं व्यापक संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। वैश्विक सप्लाई चैन ध्वस्त हो चुकी है। इनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी आयातकों का भरोसा भारत के उत्पादकों पर बढ़ा है। बांग्लादेश के निर्यात करने की क्षमता भी वर्ष 2024 तक पूरी हो जाएगी। इसलिए गारमेण्ट उद्योग के विकास के लिए अच्छा समय है। वीमेंस एथनिक वीयर और वेस्टर्न वीयर में हाथ अजमाने की जरूरत है। इसमें बिक्री हमेशा अच्छी रहती है और मार्जिन भी भरपूर होने से उत्पादन बढ़ाने की पूरी संभावना है। जेंट्स गारमेण्ट में अभी बाजार धीमा है, इसमें रफ्तार पकडऩे में समय लग सकता है, लेकिन लेडीज और किड्स वीयर में विस्तार की संभावना अधिक है।


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