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By: Textile World | Date: 2020-10-08 |
भीलवाड़ा/ कमलेश व्यास
वैश्विक महामारी कोविड -19 को 6 माह से अधिक हो चुके हैं। इस दौरान दुनिया में कई तरह के बदलाव आये, जिनमें खासकर भारत जैसे देश में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हुई। सरकारों द्वारा विभिन्न तरह के प्रतिबन्ध लगाये गए, जिसमें लॉकडाउन जैसी प्रणाली को जनता ने स्वीकार करते हुए घरों में रहे, ताकि इस वायरस की चेन आगे न बढ़े, परन्तु लोकडाउन खुलने के बाद आम जनता पुन: अपने दैनिक कार्यों में लग गई और धीरे-धीरे इस महामारी के साथ अपनी सुरक्षा करते हुए जीवन जीने का प्रयास कर रही है। स्थानीय शहर टेक्सटाइल उद्योग पर निर्भर है, जहाँ लाखों लोग किसी न किसी रूप में इस उद्योग से जुड़े हुए हैं और अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं।
विगत पखवाड़े के समीक्षा करें तो कुछ आशा की किरण दिखाई देने लगी है। व्यापार 40-50 प्रतिशत औसतन आया है। मण्डी में मूवमेन्ट शुरू हुआ है। बाजार सूत्रों के अनुसार फैंसी में थोड़ा बहुत कार्य शुरू हो रहा है। इधर कॉटन में कामकाज ठीक-ठीक है एवं रूटीन कपड़ा या वेलनॉन फैब्रिक जिसकी सेम्पलिंग नहीं होती है, वो सो-सो बिक रही है। टेक्सटाइल वर्ल्ड सर्वे के अनुसार शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण एवं कस्बों में सामाजिक एवं पारम्परिक कार्य नहीं रूके हैं, इससे इन क्षेत्रों में हल्की डिमाण्ड होती रही है। अब व्यापारियों की निगाहें आगामी त्यौहार एवं लगन इत्यादि पर है, स्थानीय वस्त्र मण्डी में स्कूल यूनिफॉर्म का बड़ी तादाद में कपड़ा बनता था उसमें कारोबार नहीं के बराबर होने से व्यापार को काफी आघात लगा है। अब तीन राज्यों जिसमें राजस्थान, कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश की सरकारी यूनिफॉर्म बदलने की घोषणा हो चुकी है, तो आगामी सेशन के लिये बहुत बड़ा कार्य स्थानीय मण्डी को मिलेगा।
संगम इण्डिया प्रोसेस के टेक्निकल प्रेसीडेन्ट श्री अनिल शर्मा ने बताया कि बाजार में 15 से 20 प्रतिशत मूवमेन्ट आया है, जिसमें मुम्बई से कुछ कार्य मिलने लगा है और निर्यात क्षेत्र से भी रनिंग कार्य होने से पोजिटीविटी होने लगी है।
कंचन इण्डिया लि. (प्रोसेस) के टेक्निकल चीफ श्री अनिल वर्मा बताते हैं कि ऑल इण्डिया के कपड़े की मण्डियों में भीलवाड़ा ने हिम्मत दिखाई और इस दौर में भी थोड़ा बहुत काम चलता रहा और इण्डस्ट्री जीवित रही, यह मण्डी के लिये प्रसन्नता की बात है। वर्तमान में कार्य 50-60 प्रतिशत तक आया है, कॉटन में स्थिति सुधार में है, भविष्य में यूनिफॉर्म का कार्य मण्डी को काफी मात्रा में मिलेगा।
ए.के. स्पिनटेक्स के तकनीकी प्रेसिडेण्ट श्री अरूण सिंह ने बताया कि फैंसी में उठाव कम है परन्तु कॉटन सेक्टर में काम मिल रहा है। विशेष बात यह है कि जो क्वालिटियां वेलनॉन (रेग्युलर) है और जिनमें सेम्पलिंग की आवश्यकता नहीं उनमें कार्य ठीक ठीक हो रहा है, इससे राहत है। प्रोसेस हाउस में 4 स्टेन्टर चल रहे हैं, रविवार बंद कर रखा है। जो कटोती पूर्व में 30 प्रतिशत थी, वो अब 15 पर आ पहुंची है। इधर गुजरात स्टेट की यूनिफॉर्म का कार्य मिल रहा है। मफतलाल ब्राण्ड के ऑर्डर मिले हंै, यानि मोटे तौर पर यह महिना ठीक लग रहा है।
मुरारका सूटिंग के डायरेक्टर श्री महेश अग्रवाल ने बताया कि बाजार में मूवमेण्ट आया है और वर्तमान में 75 प्रतिशत तक कार्य होने लगा है। आगामी त्यौहार एवं वैवाहिक सीजन की पूछ परख होने लगी है। लोग कोरोना से बचने के उपाय सभी जान चुके है, अत: इसी के साथ रहते हुऐ जीना होगा एवं कार्य के प्रति सकारात्मक रूख रखना होगा।
सिद्धार्थ एजेंसी के प्रबंधक श्री सिद्धार्थ श्रीमाल ने बाजार की स्थिति के बारे में बताया कि सितम्बर माह व्यापार की दृष्टि से बहुत स्लो रहा, निर्यात क्षेत्र भी कमजोर रहा एवं इधर स्कूल यूनिफॉर्म कारोबार तो पूरी तरह ठप्प है एवं अन्य कई कम्पनियों के ऑर्डर भी स्थगित हुए हैं। अब आगे दिवाली इस बार लेट होने से उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। सरकार द्वारा धीरे-धीरे ट्रांसपोर्ट एवं यात्री यातायात खोला जा रहा है एवं सिनेमा, रेस्टोरेन्ट की शुरूआत की जा रही है, जिसमें मूवमेण्ट आयेगा। आगे वल्र्ड वाइड सुधार होता है, तो आगामी तीन महिनों में जनवरी से गति पकड़ने की संभावना दिख रही है, परन्तु पेमेण्ट की समस्या बनी हुई है।
मंगलम यार्न के प्रबंधक श्री दिनेश बागड़ोदिया ने बताया कि अब उद्यमी भी संक्रमित होने से वीविंग पर प्रभाव आया है। वर्तमान में यार्न सप्लाई के कॉटन सेगमेण्ट में डिमाण्ड होने से यार्न दरों में भी थोड़ा सुधार होने लगा है।
प्राइमरा सुल्ज के प्रबन्ध निदेशक श्री अमित झंवर ने बताया कि पिछले पखवाड़े से तुलनात्मक उठाव आया है, जिसमें फैंसी में हलचल हुई है। श्री झंवर ने कहा कि यूपी सरकार की स्कूल यूनिफॉर्म की शर्टिंग के ऑर्डर मिले थे जिसमें हमारी लूम्स पर भी कार्य हुआ, जो वरदान साबित हुआ।
सुविधि रयॉन प्रा.लि. के श्री नितिन जैन ने बताया कि लगभग 6 माह से कोई कामकाज नहीं हो रहा था, लेकिन 15 सितम्बर से फैंसी सूटिंग में 20 से 30 प्रतिशत डिस्पेच होना चालू हुई है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी वैवाहिक सीजन तथा दीपावली को देखते हुए फैंसी सूटिंग की आगे डिमाण्ड निकलनी चाहिए। इससे व्यापारियों को थोड़ी ऑक्सीजन मिली है। नया काम कुछ भी नहीं हो रहा है। जिन व्यापारियों के पास स्टॉक पड़ा है, वह अभी वही माल डिस्पेच कर रहा है। पेमेण्ट की समस्या निरन्तर बनी हुई है। साथ ही राजस्थान सरकार द्वारा यूनिफॉर्म बदलने का निर्णय व्यापारियों को और भी असंमजस में डाल रहा है। काफी व्यापारियों के पास पुरानी यूनिफॉर्म का स्टॉक पड़ा है, उसका क्या होगा इस पर भी सरकार को वापस सोच विचार कर आगे बढऩा चाहिए।
1. भिवण्डी बंद होने से यूपी सरकार की यूनिफॉर्म शर्टिंग के बड़े ऑर्डर मिलने से वीविंग सेक्टर के लिए वरदान साबित हुआ।
2. इसके अलावा देश की अन्य मण्डियों से भी शर्टिंग के ऑर्डर मिले।
3. एक्सपोर्ट में पूर्व में ऑर्डर थे, जो लॉकडाउन के पश्चात् इण्डस्ट्री खुली तो उनके ऑर्डर पर वीविंग पर काम होता रहा।
4. कुछ मेडिकल एसेसरी के क्लॉथ जिसमें मास्क, पीपीई किट एवं कुछ मण्डियों से दुपट्टा फैब्रिक के ऑर्डर भी मिलते रहे।
अब आगे राजस्थान सरकार स्कूल यूनिफॉर्म को बदलने का निर्णय कर चुकी है, ऐसे में ये सेशन तो शिक्षण संस्थानों का निकलता जा रहा है, परन्तु अगर सरकार आगामी सीजन के लिये समय पर कलर तय करती है, तो लगभग 3 करोड़ मीटर कपड़े की आवश्यकता होगी, जिसकी प्लानिंग में उद्यमियों को 3-4 महिने का समय लगेगा। इसी क्रम में मध्यप्रदेश एवं कर्नाटक की स्कूल यूनिफॉर्म भी बदल चुकी है। जिनका कार्य भी मण्डी को मिलेगा।