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By: Textile World | Date: 2020-09-23 |
टेक्सटाइल उद्योग को मिले तुरंत राहत
भीलवाड़ा/ मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की ओर से केन्द्रीय वस्त्रमंत्री, वस्त्र सचिव एवं वस्त्र आयुक्त को प्रतिवेदन भेजकर पिछले 6 माह से कोविड महामारी से लोकडाउन के परिणामस्वरुप आर्थिक संकट झेल रहे टेक्सटाइल उद्योग को राहत देने के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग की है।
मानद् महासचिव श्री आर के जैन ने बताया कि लम्बे समय से टेक्सटाइल उद्योग को टफ योजना के अनुदान का भुगतान नही हो रहा है। चेम्बर ने सभी उद्योगों को जिनकी जेआईटी हो गई है या नही हुई है, को तुरन्त अनुदान जारी करने किए जाने की किए जाने की। अथवा अनुदान की 90 प्रतिशत राशि संबंधित बैंक से ब्याज मुक्त ऋण के रुप में प्रदान मांग की है। जैन ने कहा कि टफ पर अन्तर्मत्रांलय समिति का यह आदेश था कि जैसे ही किसी उद्योग की जेआईटी पूर्ण होने की रिपोर्ट दाखिल हो जाए, संबंधित उद्योगों को अनुदान की राशि तुरन्त जारी की जाए। इन निर्देशों के बावजूद भी उद्योगों को अनुदान की राशि जारी नहीं की जा रही है।
साथ ही जिन उद्योगों की जेआईटी हो चुकी है, उन्हें 90 प्रतिशत राशि जारी करने के लिए बैंक गारन्टी मांगी जा रही है। सामान्यतया: लघु एवं मध्यम उद्योगों को इसके लिए शत् प्रतिशत राशि की एफडी बनानी होती है, ऐसी स्थिति में बैंक गारन्टी से राशि जारी करवाने का कोई औचित्य ही नही रह जाता है। वर्तमान आर्थिक संकट के समय जहां उद्योग तरलता के संकट से झूझ रहे हैं, यहां बैंक गारन्टी मांगना उचित नही है। जिन उद्योगों की जेआईटी पूर्ण हो चुकी है, उनके अनुदान की राशि तुरन्त जारी की जानी चाहिए।
श्री जैन ने कहा कि कोविड संकट के मुकाबले के लिए वित्त मंत्रालय की ओर से जारी विभिन्न आर्थिक पेकेज के तहत 20 प्रतिशत अतिरिक्त कार्यशील पूंजी देने की घौषणा की गई थी। लेकिन कुछ बैंकों ने कोई अतिरिक्त लिमिट नही दी है। अत: रिजर्व बैंक को सभी प्राइवेट सेक्टर एवं सरकारी क्षैत्र के पीसीए क्षैत्र के बैंकों को भी सख्त निर्देश जारी कर अतिरिक्त कार्यशील पूंजी प्रदान करने का आदेश जारी करवाएं, साथ ही अतिरिक्त कार्यशील पूंजी की सीमा 20 प्रतिशत को बढ़ाकर 30 प्रतिशत की जाए। चेम्बर ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि अब लोकडाउन समाप्त होने के बाद सामान्य गतिविधियां प्रारम्भ हो चुकी है, लेकिन जिन उद्योगों की जेआईटी बकाया है, उन्हें बार-बार निवेदन के बावजूद जेआईटी के लिए तारीख नहीं दी जा रही है। चेम्बर ने आग्रह किया कि सभी उद्योगों की जेआईटी एक या दो माह की निश्चित समय सीमा में पूरी करवाई जाए, इसके अलावा जिन उद्योगों ने अपने बैंक में बदलाव किया था, उनमें से कई उद्योगों को अभी तक यूआईडी जारी नही की गई है। ऐसे सभी प्रकरणों में पुर्नविचार कर यूआईडी जारी की जानी चाहिए। कई प्रकरणों में जहां जेआईटी रिपोर्ट से ज्यादा अनुदान जारी हो गया, वहां उस राशि पर 10 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने की मांग की जा रही है। मंत्रालय की ओर से जून 2018 से जेआईटी प्रणाली लागू की गई थी एवं अब किसी भी तकनीकी कारण से अनुदान में फर्क आ रहा है तो 2 से 3 वर्ष का ब्याज मांगा जा रहा है। अनुदान में यदि फर्क तकनीकी कारणों से है, किसी फ्रॉर्ड की वजह से नहीं, जहां एक ओर मंत्रालय दो-तीन वर्ष बाद अनुदान जारी कर रहा है, उस पर कोई ब्याज नही दे रहा है और, वहीं ऐसे प्रकरणों में फर्क की राशि पर ब्याज मांगना अन्यायपूर्ण है। अत: ऐसे प्रकरणों में ब्याज वसूल नही किया जाना चाहिए।
कई प्रकरणों में टफ अनुदान 6-7 वर्ष पूर्व स्वीकृत हुआ था उस पेटे, अधिकाशं अनुदान जारी भी हो चुका है एवं केवल दो-तीन किश्तें बाकी हैं। ऐसे प्रकरणों में जेआईटी कराने एवं उसमें 6-7 वर्ष पुराने ऑरिजनल बिल मांगने का कोई औचित्य नही है। स्थानीय उद्योगों में ऑफिस परिवर्तन या आग की घटना से ऑरिजनल कागजात नष्ट हो गये, ऐसे प्रकरणों में बैंक से सत्यापित बिल मंजूर किये जावें। टफ योजना के नियमानुसार अनुदान स्वीकृत एवं जारी होने के बाद ही उद्योग अपने बैंक में नियमानुसार परिवर्तन कर सकता है, लेकिन ऐसे कुछ प्रकरणों में नये बैंक के मार्फत बकाया अनुदान प्राप्त नही हो रहा है, जिसे भी जारी कराया जाना चाहिए। श्री आर के जैन ने बताया कि भीलवाड़ा के सांसद सुभाष बहेडिय़ा ने भी इन सभी मुद्दों पर दिल्ली में वस्त्रमंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी, वस्त्र सचिव श्री रवि कपूर एवं मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर टेक्सटाइल उद्योग को शीघ्र राहत देने की मांग की है।