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By: Textile World | Date: 2020-09-08 |
नई दिल्ली/ राजेश शर्मा
कोविड-19 के कारण विश्व में उत्पन्न हुई स्थिति के कारण हालांकि देश से अनेक आइटमों के निर्यात में गिरावट की आशंका जताई जा रही है, लेकिन यह एक अच्छी खबर है कि गारमेंट उद्योग को चालू वित्त वर्ष के दौरान गारमेंट निर्यात में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की आशा है। यह आशा मेडिकल टेक्सटाइल्स की बढ़ती मांग और देश में इसके उत्पादन में वृद्धि के दम पर है। अपेरल एक्सपोर्ट प्रोमोशन कौंसिल (एइपीसी) के चेयरमैन डा. ए शक्तिवेल ने कोंसिल की 41वीं आम साधारण बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश से गारमेंट निर्यात में 40 प्रतिशत की वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि हम मेडिकल टेक्सटाइल के निर्यात पर फोकस करके चालू वित्त वर्ष के दौरान गारमेंट निर्यात में 40 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, इससे चालू वर्ष के दौरान देश से गारमेंट का कुल निर्यात वर्तमान स्तर 15.4 बिलियन डॉलर से बढक़र 22 बिलियन डॉलर हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि हालांकि कोविड-19 ने वर्तमान इतिहास को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है लेकिन इसके बाद भारत और विश्व में तेजी से प्रगति होगी। उनका मानना है कि प्रत्येक विपत्ति अपने साथ अनेक अवसर लेकर आती है। वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा अमेरिका के साथ प्रारम्भिक सीमित व्यापार सन्धि की पहल करने की घोषणा का स्वागत करते हुए डॉ. शक्तिवेल ने कहा कि अमेेरिका में व्यापारिक माहौल बहुत अनुकूल है और यह माना जाता है कि ग्लोबल चेन में भारत एक भरोसेमंद भागीदार है। इसके लिए कौंसिल सरकार से पहले ही अमेरिका से मुक्त व्यापार संधि यानि एफटीए के लिए निवेदन करती आ रही है। इसके साथ कौंसिल सरकार से यूरोपीय समुदाय, यूके, अमेरिका, आस्टे्रलिया, कनाडा आदि से भी वर्तमान व्यापार संधि की समीक्षा के लिए कह रही है। उन्होंने बताया कि अमेरिका, यूके और यूरोपीय समुदाय के साथ एफटीए और आस्ट्रेलिया तथा कनाडा के साथ सीइपीए से आगामी तीन वर्षो में देश गारमेंट निर्यात को डबल करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कपड़ा मंत्री श्रीमति स्मृति जुबिन ईरानी द्वारा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि इससे उद्योग को लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि कोविड-महामारी फैलने के कुछ महीनों के बाद ही भारत पीपीई किट्स का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा निर्माता देश बन गया है। रेडीमेड गारमेंट उद्योग के कारोबार के लिए मेडिकल टेक्सटाइल कारोबार का एक नया स्त्रोत है और इसे ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने पीपीई किट्स के कुछ आईटमों के निर्यात से प्रतिबंध उठा लिया है। उनका मानना है कि मेडिकल टेक्सटाइल विदेशी मुद्रा अर्जन का एक प्रमुख स्त्रोत बन सकता है। उन्होंने साथ ही कौंसिल के सदस्यों से अपील की कि वे मैन मेड फाईबर आधारित गारमेंट के क्षेत्र में पदार्पण करे, क्योंकि इसकी वैश्विक मांग अच्छी है, इसके अलावा आज के समय की आवश्यकता जल्दी से जल्दी एमएमएफ के विविध उत्पादों का उत्पादन आरंभ करने की है, क्योंकि विविधिकरण ही आज उद्योग की आवश्यकता है। कौंसिल भी विभिन्न एमएमएफ निर्माताओं के साथ एम ओ यू पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रही है, जिसमें रिलाइंस इंडस्ट्रीज सहित अनेक निर्माता शामिल हैं। इस प्रकार वैश्विक बाजार में एमएमएफ के रास्ते भारत से टेक्सटाइल निर्यात बढ़ सकता है।
डॉ. शक्तिवेल का मानना है कि विभिन्न फाईबर बेस के लिए आर एंड डी के अतिरिक्त तकनीक और प्रोसेससिंग की भी आवश्यकता है। इसके लिए कौंसिल हेड ऑफिस में एक आर एंड डी सेंटर की स्थापना भी कर रही है व वर्चुअल टे्रड फेयर और प्रदर्शनियों की भी योजना बना रही है, क्योंकि अनेक देशों में लॉकडाउन से अंतर्राष्ट्रीय कारोबार प्रभावित हुआ है। वर्तमान परिस्थितियों में बी टू बी, बी टू सी और बी टू जी आदि को तैयार करने की भी महत्ति आवश्यकता है।